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Friday, April 17, 2020

तालाबंदी के वो 21 दिन और कानून ............ कोरोना युद्ध

                                 भारत में  कोरोना युद्ध 

तालाबंदी के  21  दिन 

कोरोना  /COVID-19  की  दुनियाभर में  तबाही  इस  कदर व्याप्त  है की तालाबंदी  यानी  स्वैक्षिक कैद  एक मात्र  बचाव का  विकल्प  इस  कठिन  परिस्थिथि में  सामने  है  जिसे  भारत  ने भली  भाँती  स्वीकार कर  कोरोना  से   बचाव और  निजात हेतु ब्राहमास्त्र  की  भाँती  कोरोना के भीषण युद्धं का  आगाज कर दिया  और जनता कर्फ्यू के बाद  देश में 21 दिन का लॉकडाउन  शरू हो चुका है ,देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी  के  आबाहन पर  पुरे देश में  21  दिन का कोरोना कर्फ्यू  सुरु हो चूका है .....निश्चित रूप से ये 21  दिन चुनोतिपूर्ण  है ,सोशल डिस्टेंसिंग  एकमात्र विकल्प  है ,घरो में कैद रहना  ही कोरोना  के संक्रमण  की साइकिल को तोड़ने का एक मात्र विकल्प है / जनता कर्फ्यू के बाद अव कोरोना से निपटना  सम्पूर्ण देश की जिमेद्दारी बन चुकी है  ऐसी संकटमय परिस्थिथि  में  मै खुद  भी  इस  जिमेदारी का हिस्सा बन चुका  हूँ   कोरोना के चलते देश के हर जनपद ,गावं, कस्वे . हर गली  मोहल्ले में लॉकडाउन  प्रभावी एवं  लागु है ,साशन ,प्रशाशन  मुस्तैद है  केंद्र सरकार सभी राज्य  सरकारों  से कंधे से कन्धा   मिलाकर एक साथ  कोरोना से जितने हेतु भीषण युद्ध लड़ने को  तैयार  है इन तैयारियों का  सक्रीय रूप आने वाले दिनों  में  सामने आने वाला  था , प्रधानमंत्री  की अपील के  बाद देशवासियों ने खुद को घरों में कैद किया हुआ है ,सोशल डिस्टेंसिंग  को  अपना हथियार बना  हर देशवासी  अपने आप में  एक योद्धा  बना हुआ  है और  कोरोना से बचाव और निजात के लिए खुद से और कोरोना से लड़ रहा है / 
विश्वभर में  कोरोना का कहर जारी है ऐसी स्थिथि में भारत  सरकार अपनी उच्च रणनीति से इस गंभीर महामारी से निपटने में  लगी है / हमेसा आधिकारों का  हल्ला बोल करने वाले नागरिक अब सिर्फ कर्तव्यों की डोर से बंधे है और बखूबी घरों में कैद होकर अनुशाशन से  दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन  में  एक योद्धा के भाँती अपनी जिमेदारी निभा रहे है/ चारो  ओर कोरोना का भय  व्यापत है पर कुछ गैर जिमेदार लोग  इस जिमेदारी से भाग कर  साशन - प्रशाशन के लिए कठिनाइयाँ पैदा करने में लगे है जो समस्त मानव  जाति के लिए  घातक  साबित होगा l 

INDIA Fighting Corona i.e COVID-19 war 
जनता कर्फ्यू का वो दिन अपने आप में खास  था ,देश के  प्रधानमंत्री के आवाहन पर  24  घंटे का  जनता कर्फ्यू  और रात 9 बजे का द्रश्य अपने आप में अहम  था किसी के  लिए थाली और ताली महज आडम्बर और नौटंकी थी तो किसी के लिए  आस्था और एकता का प्रतिक l  स्वेक्षा से खुद को घरों में कैद करना हे मेरे लिए खास था ... जनता कर्फ्यू  के बाद का सफर कठिन और मुश्किलों से भरा है  ये कर्फ्यू लम्बा है और अत्याधिक  जिमेदारियों  से भरा  ऐसे मै जिमेदारियों का निर्वहन करना अपने आप में एक जिमेदारी है खुद की और देश की .....तालाबंदी के बीच कुछ गैर जिमेदाराना लोगों का नियमो को तोड़कर धजियाँ उडाना  किसी देश द्रोही से कम प्रतीत नहीं हो रहा है इसी बीच कुछ अतरिक्त  कानूनों का आना साशन प्रशाशन के लिए सुलभ सा लग रहा  है फिर भी जाने अनजाने जिमेदारियों से भाग लॉक डाउन को भंग करना  चुनोतिपूर्ण सा  प्रतीत हो रहा  है कोरोना वायरस से लड़ने के लिए महामारी कानून /Epidemic  Disease  Act  1897 लागू है उक्त कानून  के प्रावधानों    के तहत  सरकर द्वारा जारी किये गए  दिशानिर्देशों के उलंघन  पर भारतीय  दंड संहिता 1860  की धारा 188 व धारा 269 व धारा 270 व  धारा  271   के अंतर्गत  दंड और जुर्माना का प्रावधान है  उक्त  कानूनों का सहारा  कही न कही  लॉक  डाउन  को सफल बनाने हेतु  किया गया .... 


कोरोना की महामारी के दौरान बिना इमरजेंसी के घर के बाहर निकलने पर   लॉक डाउन को तोड़ने वालों पर  अलग लग धाराओं में  मुकदमे दर्ज  होने का सिलसिला  जारी है  l लॉक डाउन के दौरन  भारतीय दंड संहिता की धरा 144  स्वत ही लागु हो जाती है  ऐसे में किसी भी जगह भीड़ या हुजूम  इक्कठा होने पर  तथा  धारा 144  के उलंघन पर  Cr .PC  की 151 व  117 के अंतर्गत  पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है  इस मानवीय संकट के दौरान एन शक्त कानूनों  को लागु करने  का एकमात्र उदेश है  लॉक डाउन को सफल बना   इस कोरोना की  लड़ाई को हर हाल में जीता जा सके  और कोरोना से निजात  पाया जाये l



कोरोना महामारी के दौरान लागू कानून :



विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना को पेंड़ेमिक (Pendemic) / महामारी  घोषित कर दिया जा चुका है   मेरी जानकारी अनुसार महामारी  शब्द संक्रमण कारी बीमारीयो जो  बहुत तेजी से एक साथ कई देशों में अपना संक्रमण  लोगों में फैलाती हो के लिए प्रयुक्त किया जाता है l

 इस भीषण महामारी के  दौरान  महामारी कानून  यानी महामारी अधिनियम , 1897  लागु कर दिया गया  है l

कोरोना को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार  द्वारा  इस अधिनियम को भारतवर्ष में लागु कर दिया गया है l





महामारी  अधिनियम 1897 (Epidemic Act 1897)
महामारी अधिनियम का  प्रयोग  गंभीर खतरनाक महामारियों के संक्रमण की  बेहतर रोकथाम  हेतु  तब किया जाता है जब  किसी राज्य में  किसी महामारी या गंभीर संक्रमण का प्रकोप हो अथवा संक्रमण फैलने का अंदेशा हो  और उसके रोकथाम हेतु साधारण  उपबंध / कानून  पर्याप्त न हो  और व्यक्ति विशेस जो केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा निहित दिशानिर्देशों जो किसी महामारी  के रोकथाम हेतु लागु किये गए हो उसके उलंघन को रोकने और  शशक्त प्रवन्ध  हेतु  महामारी अधिनियम 1897 के तहत  सार्वजनिक सुचना को व्यक्ति या  समूह द्वारा  शख्ती  से  अनुपालन करने  हेतु  लागु किया जाता है l
Laws & COVID -19





महामारी  आधिनियम 1897 को अंग्रेजों के शाशन में लागू किया गया था,इस अधिनियम को  तब प्रयोग में लाया जाता है जब  केंद्र सरकार या राज्य सरकार को एस बात का अंदाजा और विश्वास हो जाये  की राज्य या देश में कोई  खतरनाक बिमारी ने पाँव पसार लिए हैं और  बीमारी या महामारी समस्त  देश के  नागरिकों  में फ़ैल सकती है ,ऐसी परिस्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें इस अधिनियम को लागू कर देते है l 

कोरोना से पूर्व में  वर्ष 1959  में जब  हैजा  का प्रकोप उड़ीसा में था  तब उड़ीसा सरकार ने इस  अधिनियम को राज्य में लागु किया था l  स्वाइन फ्लू के संक्रमण के चलते  वर्ष 2009  में  पुणे राज्य ने भी  स्वाइन फ्लू  से बचाव हेतु  इस अधिनियम को राज्य में लागु कर दिया था ,और वर्तमान में जब कोरोना जैसी  वैश्विक महामारी से भारत झुझ रहा है तो देश भर में 123 वर्ष पुराना महामारी अधिनियम 1897 लागु है जिसके अंतर्गत भारतीय दंड संहिता 1860 की धाराओं  के अंतर्गत सजा का प्रावधान है l

 भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 188 :

 महामारी अधिनियम की धारा 3 के अनुसार प्रावधान है की  किसी भी प्रक्रिया या दिशानिर्देश का उलंघन करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्यवाही  का प्रावधान है l
 भारतीय दण्ड संहिता 1860  की धारा 188  के अंतर्गत किसी लोक सेवक या राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा  पारित आदेश या दिशानिर्द्देश जिसमे  जनता का हित है की अवज्ञा करने वाले पर I.P.C (भारतीय दण्ड संहिता ) की  धारा 188 के अंतर्गत  मुकदमा दर्ज होगा  और क़ानूनी कार्यवाही अमल में लायी जाएगी l कोरोना  के चलते लॉक डाउन  को तोड़ने व् न मानने वालों पर  I.P.C की  धारा 188 के तहत कार्यवाही की जानी सुनिश्चित है 


भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188  का  उलंघन  करने पर एक माह  के साधारण कारावास या जुर्माना  या जुर्माना के साथ कारावास की सजा दोनों लागु हो सकती हैं  उक्त जुर्माना की धनराशि  200 रुपया विधित है l

इतना ही नहीं यही अवज्ञा की तीव्रता मानव जीवन ,सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है या दंगे का  कारण बनती है  तो उक्त सजा छह महीने का कारावास या 1000  रुपया जुर्माना  या दोनों हो सकती हैं l 

भारतीय दण्ड संहिता 1860 की  धारा 269
जब कोई किसी महामारी  से निपटने  हेतु केंद्र या राज्य सरकत द्वारा जारी किये गए  दिशानिर्देशों  व् नियमो को तोड़ता है या आदेशों की अवज्ञा करता है ऐसी स्थिथि में  भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं को नियमो की सख्ती  और आदेशों का पालन कारने या आज्ञाकारिता  हेतु प्रयोजन में लाया जाता है l
भारतीय दण्ड संहिता 1860  की धरा 269 एक ऐसा प्रावधान है जिसके लिए लोक सेवक द्वारा  पारित  आदेशों   जिसमे जनता का हित छुपा हो ऐसे आदेशों  की आज्ञाकारिता  की आवश्यकता को  लागु  रखने और नियंत्रण हेतु  नियमो के उलंघन पर इस धारा के अंतर्गत सजा का निर्धारण किया जाता है l


धारा 269  के अनुसार जो कोई विधिविरुद्ध रूप से ऐसा कोई कार्य करेगा जिससे संक्रमण फैलने का खतरा  या किसी भी संकटपूर्ण परिस्थिथि को  बढाना जैसा प्रतीत होता है  ऐसी स्थिथि में छह माह  तक की सजा  या जुर्माना  या दोनों सजा से दण्डित किया जाने का प्रावधान है l इस धारा के अंतर्गत पुलिस को गिरफ्तार करने के लिए किसी वारंट की आवयकता नही है और ये अपराध जमानतीय है l


भारतीय दण्ड संहिता की धारा 270 
 भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 14 में वर्णित है जिसके  अनुसार  जो कोई व्यक्ति ,कोई  ऐया कार्य करता है  जिससे की  उसके  कृत्य से   किसी गंभीर बीमारी को फ़ैलाने के लिए जिमेदार या किसी अन्य के जीवन को संकट चला जाने  या  जीवन के लिए  खतरनाक साबित होता है की सम्भावनाये  हो ,या जनता के स्वास्थ्य ,सुरक्षा  और नैतिकता को  हानि पहुँचती हो ,ऐसी स्थिथि में  दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है जिसकी  सजा दो वर्ष की कारावास  या जुर्माना  या दोनों सजा हो सकती हैं  ये अपराध   जमानतीय   अपराध है l


भारतीय दण्ड सहिता की धारा  271

कोरोना के इस संकट में जब देश में  कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों  को क्वारंटाइन  किये जाने का दौर जारी है ऐसे में क्वारंटाइन को जानबूझ कर कानूनों और दिशानिर्देशों का उलंघन कर , दुसरे व्यक्तियों में  कोरोना का संक्रमण फ़ैलाने में भागीदार हो  तब इस कानून को सुरक्षा  के नजरिये से लागु किया जाता है मुख्यतः यह कानून लॉकडाउन  के समय ही  लागु किया जाता है l उक्त भारतीय दण्ड संहिता की धारा 271 में दोषी पाए जाने पर 6 महीने  की कारावास  या जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है l

महामारी  रोग अधिनियम  (संसोधन ) अध्याधेश  2020


कोरोना वोर्रिओर्स  पर लगातार देश में  हमले चिंता का विषय बना हुआ है ईएसआई बीच केंद्र सरकार ने आगे आकर  महामारी कानून में अद्यादेश लाकर कोरोना वारियर्स को नयी उर्जा  और होंसला  दिया 
२२ अप्रैल को देश के केन्द्रीय मंत्री मंडल ने स्वास्थ्य कर्मियों  के  प्रति हमलो को गंभीरता से  लेते हुए  महामारी रोग अधिनियम 1897  में  संसोधन करने हेतु  अध्यादेश की मंजूरी दे दी जो अपने आप में कोरोना के एस संकटमय दौर में  एक बड़ी  पहल थी l


भारतीय संभिधान के अनुछेद 123  के तहत भारत के राष्ट्रपति ने  अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए  संसद सत्र  न होते हुए भी  अध्यादेश को मंजूरी दे दी  और   महामारी के संकटमय समय में स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा हेतु  कानून बना दिया गया l और उक्त अध्यादेश उतना हे प्रभावी रहेगा जितना की  संसद सत्र के दौरान पारित अध्यादेश  होता है l



महामारी अधिनियम 1897  में जोड़ी गयी नयी  परिभाषाये:-

> महामारी अधिनियम  1897  की  धारा  1 A  में  परिभाषित किये गये  शब्दकोष 
-हिंसा की गतिविधि ( Act Of Violence) 
-स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों ( Health services personnel)
-सम्पति  (Property)

>हिंसा की गतिविधि (Act of Violence): इसे महामारी के समय में कार्य कर रहे स्वास्थ्य सेवा कर्मियों (Healthcare Service Personnel) के सम्बन्ध में परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को तंग (Harass) करने वाले, अपहानि (Harm), क्षति (Injury), नुकसान वाले, अभित्रास (Intimidation) पहुँचाने या जीवन पर खतरे पैदा करने वाले कृत्य शामिल होंगे।



>स्वास्थ्य सेवा कर्मियों (Health services Personnel) के कर्तव्य के निर्वहन (Discharge of Duty) के दौरान (clinical establishment or any other )) किसी प्रकार की बाधा (Obstruction) पहुँचाना भी हिंसा की गतिविधि (Act of Violence) के अंतर्गत आएगा।



>स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की अभिरक्षा ( Custody of Health personnel) में या उससे सम्बंधित संपत्ति या दस्तावेज को हानि (Loss) पहुँचाना या नुकसानग्रस्त (Damage) करना भी हिंसा की गतिविधि के अंतर्गत आएगा l



>संपत्ति (Property): इसके अंतर्गत, एक क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट, महामारी के दौरान मरीजों के लिए (Quarantine) या आइसोलेशन (Isolation)के लिए चिन्हित की कोई जगह, एक मोबाइल मेडिकल यूनिट, कोई अन्य संपत्ति जिससे एक स्वास्थ्य सेवा कर्मी का महामारी के दौरान सीधे तौर पर लेने देना हो, शामिल हैं।



 उक्त अध्यादेश में  महामारी अधिनियम की नई धारा 2 A ,स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ हिंसा को और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने को प्रतिबंधित करती है। तथा  स्वास्थ्य कमचारियों को  उनकी सुरक्षा हेतु उन्हें नयी उर्जा प्रदान करती है l 


 अधिनियम की नयी  धारा 3 (2) :-
एक स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसा की गतिविधि करने वाले व्यक्ति या उस कृत्य का दुष्प्रेरण करने वाले व्यक्ति या संपत्ति (Property) को नुकसान पहुँचाने वाले या उस कृत्य का दुष्प्रेरण करने वाले व्यक्ति के लिए कम से कम 3 महीने की सजा का प्रावधान है।
अधिनियम की  धारा 3(2)  के तहत  सजा को 5 वर्ष तक कैद तक बढाया जा सकता है और 50,000 रुपए से लेकर 200000 रुपए तक जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है।

 अधिनियम अध्याधेश की  धारा 3 E(1):
सजा के अतिरिक्त एक अपराधी को पीड़ित को मुआवजे का भुगतान भी (अदालत द्वारा तय किया गया मुआवजा ) करना होगा।
 धारा 3 E (2):-
संपत्ति के नुकसान के मामले में, मुआवजा नुकसानग्रस्त संपत्ति के बाज़ार मूल्य का दोगुना होगा l
धारा  3 A(i) :
उक्त अध्यादेश की धारा 3 A (i)  के तहत  हिंसा की गतिविधि को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया हैl
 धारा  3 A (iii ) : 
उक्त अधिनियम  की धारा  3 A (iii) स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ अपराधों की पुलिस जांच 30 दिनों के भीतर  FIR  होने से) खत्म होने को सुनिश्चित करती है l
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