घरेलू हिंसा
भले ही हम 21 वी सदी में एक बेहतर खुशनुमा जिन्दगी को जी रहे है किन्तु इसी सामाजिक परिवेश में कुछ आसामाजिक गतिविधियों ने पुरे समाज को झकझोर कर रख दिया है / आज सामाजिक परिवेश में घरेलू हिंसा शब्द कसी अभिशाप से कम नही / घरेलु हिंसा शब्द जब जब सामने होता है तो सीधा ध्यान महिलाओं की सुरक्षा और आज़ादी पर जाता है / कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है जैसे घरेलू हिंसा शब्द सिर्फ महिलाओं के लिए ही बना है / घरेलु हिंसा शब्द सुनने के बाद वैवाहिक स्त्रियों पर जुल्म और प्रताड़ना की और अपने आकर्षित हो उठता है किन्तु घरेलू हिंसा का शिकार सिर्फ वैवाहिक महिलाये ही नही होती l आधुनिक युग में घरेलु हिंसा का दायरा स्वत बढता ही चला जा रहा है / घरेलु हिंसा शब्द सभी वर्ग और लिंग के व्यक्तियों के लिए है l घरेलु हिंसा की परिभाषा का दायरा भी बढता सा नजर आ रहा है / हर कोई हर कसी पर हावी और हिंसक होने की कोशिस में जूटा है ,एक बहन अपने बाई ,पिता ,माँ से असुरक्षित महसूस करने लगी है,बही एक माँ अपने पुत्र और पति से असुरक्षित महसूस कर रही है ,वही वृद्ध माता पिता अपने बेटे बहु और अन्य परिवार के सदस्यों के साथ असुरक्षित महसूस कर रही है / सामाजिक परिवेश में परिवारों में बढता / असामजिक प्रदुषण चिंता का विषय बना हुआ है / जिसका प्रभाव आगे की पीड़ियों में भी देखने को मिल रहा है जो समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा है / आपसी तालमेल और असामाजिक प्रदुषण इस सुन्दर समाज को निरंतर दूषित करने में लगा हुआ है / ऐसी भयावक स्थिथि में महिलाओं को सबसे ज्यदा प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है जिसमे मानसिक ,शारीरिक और आर्थिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है जिसमे हिंसा विशेष रूप से हावी है / समाज में हम सभी का ध्यान पंजीक्रत मामलों पर तो होता है लेकिन न जाने कितने घरेलु हिंसा के मामले पंजीकृत होने से वंचित रह जाते है और उन्हें उस प्रताड़ना भरी जीवनशैली को अपने जीवन का हिस्सा समझ कर एक दर्दनाक और जिल्लत भरी जिन्दगी को जीने पर विवश हो जाते है / महिलाये और बच्चे हिंसकों के सॉफ्ट टारगेट होते हैं और प्रताड़ित किये जाते है /
एक शभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नही / घरेलु हिंसा विकासशील देशों के साथ साथ विकसित देशों की समस्या है l आज कल अक्सर समाचार पात्र के पन्ने घरेलू हिंसा के प्रकरणों से भरे रहते है न जाने कितने लोग घरेलु हिंसा की लड़ाई में हार कर आत्महत्या जैसा कृत्य का चुनाव कर चुके है /
घरेलू हिंसा |
भारतीय परिवेश में घरेलू हिंसा अपने पाँव फैला चुकी है और स्थिथि भयाबक है पहले जहाँ घरेलु हिंसा को सिर्फ निराक्षर लोगों के मध्य माना जाता था जिसमे समतावादी शिक्षा व्यवस्था का अभाव , महिला का रंग रूप ,महिला के चरित्र पर संदेह करना, शराब की लत,अतरिक्त वैवाहिक मामलों में लिप्त होना इलेक्ट्रानिक मीडिया का दुषप्रभाव महिलाओं को स्वावलम्बी बनने से रोकना,विशेष बच्चे की चाह सामिल है l किन्तु वर्तमान समय में घरेलु हिंसा हाई प्रोफाइल और पढ़े लिखे परिवारों का भी हिस्सा बन चुका है / नवविवाहित महिलाओं के लिए दहेज़ घरेलु हिंसा का प्रमुख कारण है /परिणामस्वरूप नवविवाहित दुल्हनों से दहेज़ की अतिरिक्त मांग होती है और उसके लिए उन नवविवाहित दुल्हनो के खिलाफ हिंसा होती जिसमे शारीरिक हमले,अभद्र और भयाबक टिप्पणी करना ,छोटी छोटी बैटन को लेकर रोक टोक , बुनियादी अधिकारों से वंचित करना सामिल होता है इतना ही नहीं जब ऐसे कुंठित लॉग इन द्वारा छोटे छोटे बच्चों पर भी अमानवीय व्यवहार का निशाना बनाया जाता है l घरेलू हिंसा की जड़ें हमारे देश में बहुत गहरी गढ़ चुकी है जिन्हें उrखाड़े जाने हेतु भारत में घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 लागु किया गया /
Dial 181 Report Domestic Crime |
किशोरों /बच्चों के खिलाफ घरेलू हिंसा
भारत में घरेलु हिंसा की जड़ें इतनी मजबूती से फैली की बच्चे जिन्हें देश का भविष कहा जाता है उन्हें भी घरेलु हिंसा से प्रभावित होना पड़ता है,महिलाओं पर हिंसा के बाद किशोर और बच्चे घरेलु हिंसा से प्रभावित हैं / जिसमे बच्चों को उनके ही माता पिता परिवार के सदस्यों द्वारा प्रताड़ना दी जाती है जिसके अलग लग वजह हैं जिसमे बच्चों का परीक्षा में खराब प्रदर्शन या दुसरे बच्चों के समक्ष न होना ,सौतेले माता पिता का दुर्व्यवहार शामिल है l किसी का बच्चा सामाजिक रूप से बुद्धिमान नही होता या रंग रूप को लेकर हिंसा का सीकर होता है वही ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक परम्पराओं का पालन न करने के लिए उनको अनावश्यक प्रताड़ित किया जाता है,श्रम करवाने को लेकर उनके साथ प्रताड़ना और स्कूल जाने की अनुमति न देना घेरलू हिंसा के कारणों में शामिल है /
घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाये |
वही दूसरी ओर घरो में लड़कियों के खिलाफ हिंसा और अमानवीय वर्ताव गंभीर मुद्दा है ,भारत में पुरुष को अधिक महत्त्व दिया गया है बही संतान के रूप में एक पुत्र प्राप्ति की लालसा रखते है और एक पुत्र होने और वंश को आगे बढाने जैसी पौराणिक प्रथा और सोच है l ऐसी स्थिथि में एक भायाभक स्थिथि उत्पन है जिससे निपटने हेतु कानून को शख्त किया गया है और प्राथमिकता दी गयी है l शादी के बाद पुर्त्री का जन्म होने के बाद कुछ कुंठित मानसिकता के व्यक्ति द्वारा उस लड़की को जन्मदेने वाली माता के साथ भेदभाव और मारपीट का सिलसिला शुरू कर दिया जाता है उन्हें कुपित शब्द कहर मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देना शरू कर दिया जाता है / इस तरह की सोच न सिर्फ गाँव देहात में व्याप्त है अपितु शहरों में पड़े लिखे परिबरों में भी व्याप्त है /
बीते कुछ वर्षों से भारत में छोटी उम्र की लड़कियों (Pre-Mature) के बलात्कार की सर्मसार करदेने वाली घटनाओं की संख्या में बढोतरी हो रही है l लड़कियों के साथ यौन शोषण के साथ साथ उन्हें अनैतिक नजर से घूरा जाता है ,गलत तरीके से छुआ जाता है ,भावनात्मक शोषण आदि के रूप ने बच्चों के खिलाफ घरेलू हिंसा का रूप हैं जिसके परिणाम हम सभी के सामने है / मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के खिलाफ दुर्व्य्भार के अनेको उदहारण अमज में व्याप्त हैं / विकलांग बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है इतना ही नहीं उन विकलांग और मानसिक क्षति वाले बच्चों के अंगों को भी बेचने की तमाम खबरे सामने आ चुकी है /घरेलु हिंसा की ये आग चारो और लगी हुई है जिसके दुष्परिणाम घातक शिद्ध हो रहे हैं /
पुरुषों पर हावी पर घरेलू हिंसा
बदलते युग में जहाँ कभी सिर्फ महिलाओं को ही गह्रेलु प्रताड़ना का शिकार समझा जाता था ,उसी दौर में एस हिंसा की जडें इतनी गहराई में फ़ैल गयी की पुरुष भी अव अछूते नहीं हैं / पुरुषों के खिलाफ भी अव धीरे धीरे पुरुष भी घरेलु हिंसा की चपेट में हैं किन्तु महिलाओं की तुलना में पुरुष घरेलु हिंसा के शिकार कम होते हैं /
पुरुषों की अपर्याप्त कमाई ,पत्नियों के प्रति बेवफाई ,घरेलु गतिविधियों में सहयोग न करना ,पत्नी के परिवार को गली देना और कोसना /
कई मौकों पर पत्नी द्वारा ससुराल वालों की मदद और देखरेख करने को करने पर पत्नी का विद्रोह करना / समय समय पर सक करना भरोसा न करना ,पुरुषों की बाँझपन की समस्या के चलते पुरुषों को घरेलु प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है किन्तु प्रतिष्ठा के चलते ऐसी घरेलू हिंसा घरो में ही सिमट कर रह जाती है /
कई मौकों पर पत्नी द्वारा ससुराल वालों की मदद और देखरेख करने को करने पर पत्नी का विद्रोह करना / समय समय पर सक करना भरोसा न करना ,पुरुषों की बाँझपन की समस्या के चलते पुरुषों को घरेलु प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है किन्तु प्रतिष्ठा के चलते ऐसी घरेलू हिंसा घरो में ही सिमट कर रह जाती है /
हालाकि पुरुषों पर घरेलू हिंसा के मामले बच्चों और महिलाओं के अपेक्षा कम है ,पुरुष को सदैव से शसक्त माना जाता रहा है जिसके चलते महिलाओं और बच्चों पर पुरुषों की प्रताड़ना का प्रतिशत ज्यादा है /
बुजुर्गों पर हावी घरेलू हिंसा
भारत में वृद्ध लोगों का भी उत्पीडन जोरों शोरों पर है ,अपने ही वृद्ध माता पिता अव लोगों को काल लगने लगे है उनके प्रति उनका रवैया अमानवीय और असामाजिक सा प्रतीत होता आम बात से हो गयी / उनकी प्रॉपर्टी को हतियाने ,उनकी पेंशन को जबरन ले लेना और उनके खर्चों को अतिरित बोझ समझकर उनसे छुटकारा पाने हेतु उनके साथ भेदभाव और अबद्र व्यबहार ,मारपीट ,का सिलसिला शुरू है जिससे पूरा समाज कलंकित हो उठता है/
वृद्ध लोगों के खिलाफ हिंसा के मुख्य कारण हैं – बूढ़े माता-पिता के खर्चों को झेलने में बच्चे झिझकते हैं, बच्चों को भावनात्मक रूप से पीड़ित करते हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिए उनकी पिटाई करते हैं। विभिन्न अवसरों पर, परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए उन्हें पीटा जाता है। बहुत ही सामान्य कारणों में से एक संपत्ति हथियाने के लिए यातना भी शामिल है।
लैंगिक भेदभाव की मौजूदा संरचनाओं को देखते हुए, बूढ़ी महिलाओं को भौतिक शोषण, वित्तीय अभाव, संपत्ति हड़पने, परित्याग, मौखिक अपमान, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा का शिकार बनने की तुलना में अधिक जोखिम होता है और उनको अत्याधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है /
घरों में युवा विधवाओं की दुर्दशा, आगे चलकर उनके उम्र के साथ उनको शापित मानकर उनका मानसिक शोषण किया जाता है , परिणामस्वरूप वृद्धअवस्था में अधिक गंभीर हो जाती है और उनको उस समाज से वंचित कर दिया जाता है जिसमें वे रह रहे हैं, उपेक्षित हैं, दुर्व्यवहार किए गए हैं, शापित हैं, और उन्हें बुरा और अशुभ माना जाता है।
महिला के प्रति हिंसात्मक व्यवहार का वैधानिक स्वरूप और उत्पीड़क व्यक्ति पर वैधानिक सजा का प्रावधान:
भारत में वृद्ध लोगों का भी उत्पीडन जोरों शोरों पर है ,अपने ही वृद्ध माता पिता अव लोगों को काल लगने लगे है उनके प्रति उनका रवैया अमानवीय और असामाजिक सा प्रतीत होता आम बात से हो गयी / उनकी प्रॉपर्टी को हतियाने ,उनकी पेंशन को जबरन ले लेना और उनके खर्चों को अतिरित बोझ समझकर उनसे छुटकारा पाने हेतु उनके साथ भेदभाव और अबद्र व्यबहार ,मारपीट ,का सिलसिला शुरू है जिससे पूरा समाज कलंकित हो उठता है/
वृद्ध लोगों के खिलाफ हिंसा के मुख्य कारण हैं – बूढ़े माता-पिता के खर्चों को झेलने में बच्चे झिझकते हैं, बच्चों को भावनात्मक रूप से पीड़ित करते हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिए उनकी पिटाई करते हैं। विभिन्न अवसरों पर, परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए उन्हें पीटा जाता है। बहुत ही सामान्य कारणों में से एक संपत्ति हथियाने के लिए यातना भी शामिल है।
लैंगिक भेदभाव की मौजूदा संरचनाओं को देखते हुए, बूढ़ी महिलाओं को भौतिक शोषण, वित्तीय अभाव, संपत्ति हड़पने, परित्याग, मौखिक अपमान, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा का शिकार बनने की तुलना में अधिक जोखिम होता है और उनको अत्याधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है /
घरों में युवा विधवाओं की दुर्दशा, आगे चलकर उनके उम्र के साथ उनको शापित मानकर उनका मानसिक शोषण किया जाता है , परिणामस्वरूप वृद्धअवस्था में अधिक गंभीर हो जाती है और उनको उस समाज से वंचित कर दिया जाता है जिसमें वे रह रहे हैं, उपेक्षित हैं, दुर्व्यवहार किए गए हैं, शापित हैं, और उन्हें बुरा और अशुभ माना जाता है।
महिला के प्रति हिंसात्मक व्यवहार का वैधानिक स्वरूप और उत्पीड़क व्यक्ति पर वैधानिक सजा का प्रावधान:
क्र. | उत्पीडि़त महिला के साथा हिंसात्मक व्यवहार (स्वरूप) | वैधानिक अपराध | वैधानिक संभावित धारा | उत्पीड़क के प्रति सजा का प्रावधान |
1 | मानसिक हिंसा- बेइज्जत करना, ताने देना, गाली-गलौच करना, झूठा आरोप लगाना, मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा न करना एवं मायके से न बुलाना इत्यादि हिंसा की धमकी- शारीरिक प्रताड़ना, तलाक एवं मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा न करने की धमकी देना। | पति या उसके रिश्तेदारों द्वारामानसिक या शारीरि कष्ट देना। | 498 | 3 साल |
2 | झूठा आरोप लगाना या बेइज्जत करना। | 499 | 2 साल | |
3 | साधारण शारीरिक हिंसा- चांटा मारना, धक्का देना और छीना झपटी करना। | तामाचा मारना, चोट पहुंचाना | 319 | 3 माह |
4 | साधारण शारीरिक हिंसा – लकड़ी या हल्की वस्तु से पीटना, लात मारना, घूंसा मारना, माचिस या सिगरेट से जलाना। | आत्महत्या के लिए दबाव डालना, साधारण या गंभीर हिंसा | 306 | 3 साल |
5 | अत्यंत गंभीर हिंसा- गंभीर रूप से पीटना जिससे हड़डी टूटना या खिसकना जैसी घटनाएं शामिल है। गंभीर रूप से जलाना, लोहे की छड़, धारदार वस्तु या भारी वस्तु से वार करना। | गंभीर हिंसा – लोहे की छड़, तेज धार वस्तु का प्रयोग। | 232 | 7 साल |
दहेज मृत्यु | 304 | आजीवन कारावास |
महिला की शालीनता भंग करने की मंशा से हिंसा या जबरदस्ती करना। | 54 | 2 साल |
अपहरण, भगाना या महिला को शादी के लिये विवश करना। | 366 | 10 साल |
नाबालिक लड़की को कब्जे में रखना | 366 | 10 साल |
बलात्कार (सरकारी कर्मचारी द्वारा या सामूहिक बलात्कार अधिक गंभीर माने जाते हैं) | 376 | 2- 10 वर्ष की उम्र कैद |
पहली पत्नी के जीवित होते हुए दूसरी शादी करना | 494 | 7 साल |
व्यभिचार | 497 | 5 साल |
महिला की शालीनता को अपमानित करने की मंशा से अपशब्द या अश्लील हरकतें करना | 509 | 1 साल |
Important & Emergency helplines in India
NATIONAL EMERGENCY NUMBER | 112 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
POLICE
| 100 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
FIRE
| 101 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
AMBULANCE
| 102 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Disaster Management Services
| 108 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Women Helpline
| 1091 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Women Helpline - ( Domestic Abuse )
| 181 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Air Ambulance
| 9540161344 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Aids Helpline
| 1097 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Anti Poison ( New Delhi )
| 1066 or011-1066 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Disaster Management ( N.D.M.A ) :
011-26701728
| 1078 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
EARTHQUAKE / FLOOD / DISASTER ( N.D.R.F Headquaters )NDRF HELPLINE NO : | 011-243632609711077372 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Deputy Commissioner Of Police – Missing Child And Women
| 1094 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Railway Enquiry
| 139 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Senior Citizen Helpline
| 1091 , 1291 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Medical Helpline in Andhra Pradesh, Gujarat,Uttarakhand,Goa,Tamil Nadu, Rajasthan,Karnataka,Assam,Meghalaya,
M.P and U.P
| 108 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Railway Accident Emergency Service
| 1072 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Road Accident Emergency Service
| 1073 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Road Accident Emergency Service On
National Highway For Private Operators
| 1033 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ORBO Centre, AIIMS (For Donation Of Organ) Delhi
| 1060 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Kisan Call Centre
| 1551 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Relief Commissioner For Natural Calamities
| 1070 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Children In Difficult Situation
| 1098 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) Poision Control ( 24*7 ) | 011-26593677, 26589391, 26583282 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Tourist Helpline
| 1363 or 1800111363 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
LPG Leak Helpline | 1906 |
source : Indianhelpline.com
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NATIONAL TOLL FREE DRUG - DE ADDICTION HELPLINE:
TEL : 1800-11-0031
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